एक बड़ा जंगल था । जंगल में एक शेर रहता था । शेर के साथ एक बाघ ,कौवा , और गीदड़ भी रहते थे ।इन सभी में गहरी दोस्ती थी ।एक बार जब वो जंगल से जा रहे थे तो उन्ह्नो एक ऊंट को देखा । उन्ह्नो ऊंट को जंगल में पहली बार देखा था । ऊंट को देखकर शेर ने कहा अरे ये यह कोनसा विचित्र जानवर हैं तुम इसके पास जाकर पूछो की यह एक जंगली जानवर हैं या कोई मैदानी जानवर हैं ।इस पर कौवा ने तुरंत कहा की महाराज यह मैदानी जानवर हैं ये जंगली नहीं हैं । इसका मांस बहुत ही स्वादिष्ट होता हैं । इसको मारकर आप खा लीजिये । इस पर शेर ने कहा की मैं घर आये शत्रु को कभी नहीं मारता । अगर कोई डर न मानता हुआ कोई शत्रु अपने पास आ जाये तो उसे मारना नहीं चाहिए अगर उसको मारते हैं तो उसे वही पाप लगता हैं जो एक पंडित को मारने पर लगता हैं । इसी कारण से मे इस को मारकर पाप का भागीदार नहीं बनना चाहता ,तुम जाकर उसे मेरे पास ले के आओ मैं उससे इस जंगल में आने के कारन पूछ लू । जी महाराज हम अभी उसको आपके पास लेके आते हैं य। यह कहकर वे वे तीनो ऊंट के पास चले गए और बड़े प्यार से जाकर ऊंट से बोले मित्र जंगल का राजा शेर आपसे दोस्ती करना चाहता हैं । यदि ऐसा हैं तो में कैसे मन कर सकता हूँ। यह कहकर ऊंट उनके साथ चल दिया । शेर ने ऊंट को अपने पास में बिठाया और कहा भाई इस जंगल में कैसे आये हो ? ऊंट ने शेर से कहा मित्र मैं अपने साथियो से बिछड़ गया हूँ ।उनकी की तलाश में ही मैं इस जंगल मैं भटक रहा हूँ मुझे ऐसा लगता मेरी तो किस्मत ही कमजोर हैं । ऐसी बात मत करो मित्र शेर ने कहा । ऊंट ने कहा की अब क्या करूं , अब मैं अकेला इस जंगल में भटकता रहता हूँ । कोई साथी नहीं , कोई भी मित्र नहीं, इसे अकेले प्राणी का भी कोई जीवन होता हैं । ऊंट ने निराश पूर्वक ठंडी आह भरते हुए कहा । फिर सभी ने कहा इस जंगल में तुम्हारा कोई मित्र नहीं तो क्या हुआ हम सब आजसे तुम्हारे मित्र ही तो हो । हमारे पास जैसा भी रुखा सुखा हैं उसे खाकर ही अपना गुजरा करो । क्या बात हैं मेरे मित्रो आप लोगो ने तो इस टूटे हुए दिल को सहारा दिया हैं ।मुझे आपसे दोस्ती करके बहुत ही प्रसन्नता होगी अब मैं अपने गाँव जाकर क्या करूँगा , अब तो मेरे लिए ये जंगल ही अच्छा रहेगा ।उस दिन से ऊंट भी उनके साथ रहने लगा ।गाँव के बंधन को छोड़कर जंगल की खुली हवा का आनन्द लेने लगा । उस को लगा की वह किसी जेल से आजाद होकर आ गया हैं । सब मित्र उसे कितना सारा प्यार करते हैं । इतना प्यार तो मुझे जीवन में कभी भी नहीं मिला एक बार शेर का किसी जंगली हाथी के साथ युद्ध हो गया उसमे शेर बुरी तरह से घायल हो गया । शेर के घायल उन सब पर संकट के बादल छा गए क्योकि शेर के शिकार से ही वे सब अपना पेट भरते थे । शेर गुफा के अन्दर पड़ा था । उसका पेट भरना भी जरुरी था । ऐसे मैं उन्हें समझ में नहीं आ रहा था की क्या करे या न करे । इसी बीच भूखा शेर भी इन सबकी और देख रहा था । गीदड़ ,कौवा,और बाघ शेर की हालत देखकर बहुत दुखी हुए ।और सोचने लगे कि शेर के बिना हम कुछ भी नहीं कर सकते और गहरी सोच में पड गए की हमारा सबसे प्यारा मित्र हैं और इसके लिए भोजन की व्यवस्था खा से करे ? इन सब में गीदड़ बहुत दिमाग धारी था । उसने अपने दिमाग पर जोर डालते हुए कहा की हम सब में ऊंट ही एक ऐसा जानवर हैं जो शेर का भोजन बन सकता हैं । पर इन सब के बीच शेर को इस बात के लिए राजी करना एक बहुत बड़ी बात थी । फिर गीदड़ ने कहा की मैं शेर से इस तरह इस बात को कहुन्गा की शेर आसानी से मान जायेगा । तुम सभी यही पर रहो मैं अभी शेर से इस विषय पर बात करके आता हूँ और गीदड़ शेर के पास चला गया उसने शेर से कहा की हे महाराज आपकी ये हालत हम सबसे अब और नहीं देखि जाती हमने पुरे जंगल को छानमारा पर हमें आपके लिए कोई भी शिकार नहीं मिला । इसलिए महाराज आप ऊंट का शिकार कर लीजिये , अच्छा रहेगा कम से कम आपका पेट तो भर जाएगा । शेर ने क्रोधित होते हुए कहा की मुर्ख तुझे क्या ये पता नहीं हैं की वो हमारा महमान हैं हम महमान का शिकार नहीं कर सकते चाहे भूखे मर जाए । गीदड़ ने कहा की हे महाराज ऊंट तो एक परदेसी हैं उसका खून करने में कोई दोष नहीं हैं क्योकि वो आपकी प्रजा नहीं हैं और अगर वो आगे से ही वो अपने आपको आगे से ही आपके हवाले कर दे तो इस में आपके लिए कोई बुरी बात नहीं हैं । शेर ने कहा जैसा तुम उचित समझो वैसा ही करो । गीदड़ फिर ऊंट के पास गया और अपने मित्रो के ऊंट को ले गया और कहने लगा देखो मित्रो हमारा राजा घायल होने के कारण पड़ा हुआ हैं और भूखा भी इनको सता रही हैं । हमारे शास्त्रों में ऐसा लिखा हुआ हैं की जिस मित्र के होते हुए उसका मित्र दुःख भोगे वह सीधा नरक में जाता हैं । अत: हम सबको अपने राजा के पास चलना चाहिए । गीदड़ के कहने पर सभी गीदड़ के साथ शेर के पास गए । गीदड़ ने सभी को सिखा दिया था इसलिए कोवा झट से बोला हम ने आपके लिए बहुत शिकार ढूंढा पर हमे नहीं मिला , इसलिए आप मुझे ही खाकर अपना पेट भर लीजिये । कौए की बात बीच में ही काटते हुए गीदड़ ने कहा की तुम्हे खाने से राजा का पेट थोड़ी भरेगा मैं अपने आपको राजा के हवाले करता हूँ। इस बीच बाघ बोला मेरे रहते हुए आप सब को ऐसा करने की आवश्यकता नहीं हैं आखिर मालिक ने मेरा कई वर्षो तक मेरा पेट भरा हैं इनके अहसानों का बदला तो मैं कई जन्मो तक नहीं चूका सकता , इसलिए मैं राजा को अपना शरीर अर्पण करे अपने आपको भाग्यशाली मानता हूँ ।इन सबकी बात सुनकर ऊंट ने भी कहा की मैंने भी तो शेर का नमक खाया हैं इसलिए मेरा भी तो कोई फर्ज बनता हैं । उसने कहा की मेरा शरीर तुम सब से भरी हैं । इसलिए मेरा भोजन करके मालिक का पेट भर जाएगा ।सब इसी बात की प्रतीक्षा कर रहे ऐसा कहने पर वे ऊंट पर झपटे और बाघ ने ऊंट के शरीर को चीर दिया । फिर शेर ने और उन्होंने आराम से ऊंट का मांस खाया और अपना पेट भरा ।चतुर गीदड़ ने आखिर अपनी बुद्धिमानी से सबका पेट भर ही दिया ।
the clever jackal story in hindi