कौरव और पांडव सभी गुरु द्रोणाचार्य से धनुष विद्या ग्रहण कर रहे थे . वे सभी हमेशा बेहतर पर्दशन की कोशिश किया करते थे . इन सब के बीच गुरु द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य अर्जुन थे . एक बार गुरु द्रोणाचार्य ने सबकी परीक्षा लेने की सोची .
उन्होंने आश्रम के पासके एक पेड़ की डाली पर एक मिट्टी से बनी हुई चिड़िया को बांध दिया . परीक्षा ये थी की सभी को उस चिड़िया की आंख पर निशाना लगाना था . सभी शिष्यों ने सोचा की गुरूजी हमारी इतनी सरल परीक्षा क्यों ले रहे हैं . चिड़िया की आँख पर निशाना लगाना तो बिल्कुल आसान काम हैं . जब परीक्षा की घड़ी ई तो सभी को एक – एक करके बुलाया गया . लेकिन निशाना लगाने से पूर्व सभी से पुछा गया की तुम्हे क्या क्या दिखाई दे रहा हैं ?
युधिष्ठिर ने कहा की मुझे चिड़िया , उसके आस – पास की टहनियों , आकाश आदि दिखाई दे रहे हैं . गुरु द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर को निशान लगाने से रोक दिया . फिर दुर्योधन की बारी आई . दुर्योधन से भी यही सवाल पुचा गया की तुम्हे क्या क्या दिखाई दे रहा हैं . दुर्योधन ने कहा की मुझे पास में बैठे हुए पक्षी , उनके पंख , आकाश , पेड़ की डालियाँ इत्यादि दिखाई दे रहे हैं . फिर गुरूजी ने दुर्योधन से पूछा की क्या तुमे मैं नहीं दिखाई दे रहा हु ? दर्योधन ने कहा की हां मुझे आप भी थोड़े – थोड़े दिखाई दे रहे हो . सभी से यही सवाल पूछा गया . सभी ने लगभग इसी प्रकार के जवाब दिए .
सभी को निशाना लगाने से रोका गया फिर भी उनके समझ में नहीं आया की उन्हें निशाना लगाने से क्यों रोका जा रहा हैं . अन्त में अर्जुन की बारी आई अर्जुन से भी यही प्रश्न दोहराया गया की तुमको क्या – क्या दिखाई दे रहा हैं ? अर्जुन ने कहा की ” गुरु जी मुझे उस चिड़िया की आँख जिस पर की निशाना लगाना हैं वही दिखाई दे रही हैं इसके अलावा मुझें और कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा हैं .” अर्जुन का उत्तर सुनकर गुरु द्रोणाचार्य बहुत ही प्रसन्न हुए .उन्होंने अर्जुन को निशान लगाने को कहा . अर्जुन के तीर का निशाना सीधा चिड़िया की आँख पर ही लगा . अत: अर्जुन परीक्षा में सफल हुए
. तब गुरु द्रोण ने सभी शिष्यों से कहा की अगर तुम्हारा ध्यान अपने लक्ष्य के अलावा अन्य जगह भटकेगा तो तुम अपनें लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाओगे . लक्ष्य के लिए अपने आप को लक्ष्य के प्रति एकाग्र रखो तभी आप अपना लक्ष्य प्राप्त कर पाओगे .
अगर हमारा मन एकाग्र होगा तो ही हमें सफलता मिलेगी . इसलिए हमें हमेशा हमारा मन एकाग्र रखना चाहिये .