कर्म पथ के मार्ग में चलना ही होगा
पथिक बनकर राह को चुनना ही होगा
ठहराव केवल शब्द है आता नहीं है
कर्म पथ के राहगीरों को ये भाता नहीं है
बिघ्न – बाधाए अगर पथ रोक ले तो
मन की निराशाए अगर पथ रोक ले तो
प्रकृति की एक सीख लेता तू चला चल
कर्म को इक रूप देता तू चला चल
है समन्वय रोशनी के प्रभाव में
है समन्वय नदियों के बहाव में
सृष्टि की हर एक घटना है समन्वित
सीख ले ए पथिक तू जीवन समन्वय
रुकना तेरी जिंदगी का अंत है राही
और चलना तेरी जिंदगी का आनंद है राही
लेखक पंकज गौतम
सतना मध्य प्रदेश
पंकज गौतम विट्स महाविद्यालय सतना मधयप्रदेश मे विगत ५ वर्ष से केमिस्ट्री विभाग मे अस्सिटेंट प्रोफेसर के रूप मे कार्य रत हैं . लेखन और कवित्त मे इनकी रूचि है .