इन्टरनेट का विद्यार्थी जीवन पर प्रभाव

कंप्यूटर को हिंदी में संगणक कहते हैं I तो जब तक यह सिर्फ कंप्यूटर भर था तब तक बातें बहुत थी पर इतनी न थी Iलेकिन जबसे इन्टरनेट आया तो ऐसा लगा जैसे लोगों के विछारों ने भावनाओं ने पुरे विश्व में  छलांग लगा ली I पूरा विश्व सिमट कर एक बॉक्स में बंद हो गया I एक कहावत थी”जहाँ न जाए रवि वहां न जाये कवि “लगता है आज के युग में कहना होगा I “जहाँ न जाये जेट वहां जाये इन्टरनेट”

अब बात करें विद्यार्थियों की विद्या के अर्थ  में अगर इन्टरनेट का प्रयोग किया जाता है तो ज्ञान में  वृद्धि होती है I जिसका उत्तर कहीं नही मिलता वो सेकंड भर के अन्दर छात्र प्राप्त कर लेते हैं I लेकिन ये बात भी है कि इन्टरनेट के भरोसे वो टेस्ट बुक पढना बिलकुल छोड़ देते हैं I गहन अध्यन तो करना भूल ही चुके हैं इन्टरनेट के संक्षिप्त उत्तर लेकर वो माध्यमिक वर्गों में उतना सफल नहीं हो पाएंगे I

जितना की पुस्तकों को अच्छी तरह से पढ़कर क्यूंकि ज्ञान को विकसित करने का यही समय होता है और  18 वर्ष से पहले हर समय कंप्यूटर पर झुके रहना हर दृष्टिकोण से हानिकारक है I आँखें ख़राब होती हैं  और शरीर की आकृति निरंतर बैठने से वो नहीं रह जाती जो रहनी चाहिए I कुछ बच्चों की संगत बिगड़ी है तो वे अश्लील फ़िल्में देखने लगते हैं ,अश्लील चित्रों को पोस्ट करते हैं I लेकिन ऐसा न हो उसके लिए माता पिता को सजग रहना

होगा I जब बच्चे किसी क्षेत्र में आगे बढ़ने लगते हैं उस समय इन्टरनेट के बिना उनका काम नहीं चलेगा I आजकल  कॉपी कलम की जगह इन्टरनेट ने ही ले ली है I कोई भी कार्यालय हो बैंक हो या हॉस्पिटल हो या रेलवे टिकट हो  सिनेमा घर की टिकट हो कहीं होटल बुक करना हो या किसी दर्शनीय स्थल पर टीम के साथ जाना हो वहां इन्टरनेट सबका गुरु है Iऔर तो और आश्रय तो तब होता है कि जब हम कार से कहीं जा रहे होते हैं और गूगल माप ओं कर देते वो हमें  रास्ता बताते जाता है चाहे जहाँ भी जाना हो I किसी भी लाभदायक वस्तु का इस्तेमाल हम लाभ के रूप  में करें वही उसकी विशेषता है विज्ञान बहुत आगे बाधा पर इन्टरनेट ने तो चार चाँद लगा दिया I आजकल तो वर्ग चतुर्थ से ही कंप्यूटर की शिक्षा आरम्भ हो जाती है  I

इसलिए हम कहना चाहते है  I

“धन्य धन्य ये धरती महान,जहाँ हुए ऐसे इंसान I

जन जन को दिलाया विशेष ज्ञान II

सही सही ले इसका ज्ञान I

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