Munshi Premchand Quotes
मुंशी प्रेमचंद किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं . इनकी गिनती हिंदी व् उर्दू के महानतम लेखको में होती है . प्रेमचंद जी का मूलनाम धनपत राय था . प्रेमचंद जी को नवाब राय के नाम से भी जाना जाता है .
आज हम उनके ऐसे महान कथनों की चर्चा कर रहे हैं , जो आज भी प्रासंगिक हैं ।
” जिस तरह सूखी लकड़ी जल्दी से जल उठती है, उसी तरह क्षुधा (भूख) से बावला मनुष्य ज़रा-ज़रा सी बात पर तिनक जाता है। ”
” केवल बुद्धि के द्वारा ही मानव का मनुष्यत्व प्रकट होता है।”
” सफलता में दोषों को मिटाने की विलक्षण शक्ति है । “
” यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं । “
” दया मनुष्य का स्वाभाविक गुण है । ”
” निराशा सम्भव को असम्भव बना देती है । ”
” नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है। “
” सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचल रहते हैं । “
” मासिक वेतन पूरनमासी का चांद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते घटते लुप्त हो जाता है । “
” स्वार्थ की माया अत्यन्त प्रबल है । “
” अन्याय में सहयोग देना, अन्याय करने के ही समान है । “
” विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई विद्यालय आज तक नहीं खुला । “